...

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आज का अध्यापक
अध्यापक हमारे समय के होते थे बड़े निराले,
वैसे अध्यापक शायद ही आज मिल जाए एक-आध विरले।
अपने छात्रों का रखते थे पूरा-पूरा ध्यान,
चाहे वह उसकी मानसिकता से जुड़ा हो,
या शैक्षणिकता से।
वे अपने छात्रों के संपूर्ण विकास की लेते थे जिम्मेदारी।
चाहे वह नैतिक गुण से संबंधित हो या
शैक्षणिक ज्ञान की बातें हो।
जिस किसी बातों की सीख उन्हें दी जाती,
बच्चे भी बड़ी तत्परता से उन्हें अपनाते।
जैसी एक हाथ की पांच उंगलियां होती नहीं बराबर,
इस प्रकार प्रकार हर कक्षा के छात्रों में होती विभिन्नताएं।
अध्यापकवृंद भी उन्हें बड़े ही प्यार से समझाते।
जिस तरह कक्षा में हांका नहीं जा सकता,
एक ही लाठी से हर छात्र...