जीने की तमन्ना
जीने की तमन्ना
बड़ी हिम्मत की थी उसने,
वो चिथड़ा लपेटने को,
स्वाभिमान को ताक पे रख,
लोगो की घूरती नज़रों,
दुत्कारों के बीच,जीने को।
चिलचिलाती कड़ी दोपहरी में,
कड़ाके की बदन कंपाने वाली ठण्ड,
तेज़ वज्र समान प्रहार
करती बारिश में।
बदन को एक...
बड़ी हिम्मत की थी उसने,
वो चिथड़ा लपेटने को,
स्वाभिमान को ताक पे रख,
लोगो की घूरती नज़रों,
दुत्कारों के बीच,जीने को।
चिलचिलाती कड़ी दोपहरी में,
कड़ाके की बदन कंपाने वाली ठण्ड,
तेज़ वज्र समान प्रहार
करती बारिश में।
बदन को एक...