...

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माँ.......
अपनी माँ की आँखों मे,
मैंने धुप को जलते देखा है।
बेबस सी काठ के हृदय शिला को,
मैंने रोज़ पिघलते देखा है।
नीर ना सावन मैं भी इतना,
उसकी आँखों मे समंदर देखा है।
लड़ती है हर पल जिससे वो,
वो दुविधाओं का बवंडर देखा है।
है तामस उसके जीवन मे,
पर उसके ह्रदय मे...