* किसे क्या पता *.......
किसे क्या पता....
किन हालातों से गुज़रती हूँ मैं .........
रात के अँधेरे में....
अक्सर रोती हूँ मैं ............
दुनिया आराम करती है....
दर्दों से लिपटकर सोती हूँ मैं........
...
किन हालातों से गुज़रती हूँ मैं .........
रात के अँधेरे में....
अक्सर रोती हूँ मैं ............
दुनिया आराम करती है....
दर्दों से लिपटकर सोती हूँ मैं........
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