* किसे क्या पता *.......
किसे क्या पता....
किन हालातों से गुज़रती हूँ मैं .........
रात के अँधेरे में....
अक्सर रोती हूँ मैं ............
दुनिया आराम करती है....
दर्दों से लिपटकर सोती हूँ मैं........
तन्हाई हँसती है मुझपर....
उससे रोज़ लड़ती हूँ मैं.........
रात में जब तन्हा रोता है दिल....
उसे चुपके से चुप कराती हूँ मैं........
लोग पूछते है जब हाल मेरा....
मुस्कुराके ग़म अपना छिपाती हूँ मैं.......
किसे क्या पता....
किन हालातों से गुज़रती हूँ मैं.......!!!!!
© my feelings
किन हालातों से गुज़रती हूँ मैं .........
रात के अँधेरे में....
अक्सर रोती हूँ मैं ............
दुनिया आराम करती है....
दर्दों से लिपटकर सोती हूँ मैं........
तन्हाई हँसती है मुझपर....
उससे रोज़ लड़ती हूँ मैं.........
रात में जब तन्हा रोता है दिल....
उसे चुपके से चुप कराती हूँ मैं........
लोग पूछते है जब हाल मेरा....
मुस्कुराके ग़म अपना छिपाती हूँ मैं.......
किसे क्या पता....
किन हालातों से गुज़रती हूँ मैं.......!!!!!
© my feelings
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