...

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वक्त
मुस्कुराते हुए रो देते हैं,
केसे ये हसीन फसाना होगया,
हम तो तलाश में हैं आज भी उनकी यादों की ,
और उनको हमें भूले जमाना होगया।

अकेले खुदको संभालती थी ,
अपनी मौजूदगी क्यों अहसास करा गए,
थोड़ी खुदा से खुशियां मांगी थी,
आप तो आसुंओ की बरसात करा गए।

सिर्फ समझ नेकी कोसिस थी हमारी,
अपनी छोड़ उनकी तलाश कर गए,
अब अपने में बेहिसाब खामोशी जोड़ ली,
वो जिस कदर हमको उदास कर गए ।

गलती सयाद उनकी नहीं थी ,
हम ही उम्मीदें सायद गलत कर बैठे ,
जिस किताब में पन्ने हमारी थी सोचे ,
उस कोरे पन्ने को पलट कर बैठे ।

अब अधूरे ही हैं वो हर ख्वाहिश ,
आखों ने तो ख्वाब देखना छोड़ दिए ,
गुम सूम सी है वो हर नजर ,
जब से अपने ये दिल तोड़ दिए ।