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माँ........
माँ तू है त्याग और बलिदान की मूर्ति,
हमेशा मेरे हर एक जरूरत को है पूरी करती,
जब भी उदास या परेशान होता हूँ,
तेरे पास दौड़ा चला आता हूँ,
बिना कुछ सोचें समझें अपनी मन की हर एक बात तुझे
बताता हूँ,
तू मेरे हर एक परेशानी को यूँ पल में दूर कर देती है,
मुझे दर्द में देखकर अपने हर दर्द को भुला देती है,
माँ तू है त्याग और बलिदान की मूर्ति,
हमेशा मेरे हर एक जरूरत को है पूरी करती।
हमेशा मेरे हर एक जरूरत को है पूरी करती।
हमेशा मेरे हर एक जरूरत को है पूरी करती,
जब भी उदास या परेशान होता हूँ,
तेरे पास दौड़ा चला आता हूँ,
बिना कुछ सोचें समझें अपनी मन की हर एक बात तुझे
बताता हूँ,
तू मेरे हर एक परेशानी को यूँ पल में दूर कर देती है,
मुझे दर्द में देखकर अपने हर दर्द को भुला देती है,
माँ तू है त्याग और बलिदान की मूर्ति,
हमेशा मेरे हर एक जरूरत को है पूरी करती।
हमेशा मेरे हर एक जरूरत को है पूरी करती।
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