...

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बढ़ते कदम
लालटेन लेकर निकला
खोजन खामियां औरों की
जब लालटेन खुद पर पड़ी तो
खामियां भी अच्छी लगने लगी
औरों की खामियां तो दूसरे के अस्तित्व का होना भी सबसे बड़ी गलती लगी
जब बारी खुद की आई तो
सोची समझी साजिश उन पर चली गई
अरे अब तो डरो ,खामियां औरों की नहीं
खुद की भी देख लिया करो

हिम्मत न हारो बढ़ते चलो
खुद के संभाले रास्ते पर चलो
छोड़ो न राह ,बिगाड़ो न किसी का बात
खुद के रास्ते पर चलते चलो
कर्म की पगडंडी पर बढ़ते चलो
लोटो ना पीछे बढ़ते चलो
जीवन की कटू रीत है इसे अपनाना सीख लो

© its_poetic_devpragya