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पागल है क्या?
समेट रहे हैं अपने दिल के टुकड़ों को,
कहीं चुभ ना जाए उनके पैरों मैं।
वो कहते है, "पागल है क्या?
क्यूं जख्मी हाथों से धूल की खाक छानता है?"
हमें नासमझ जान दो बातें तो कर लेती हैं वो,
अब कौन बताए हमारी मोहब्बत के किस्से,
ये एहसास, ये लफ्ज़, ये जुनून सब हमारे हैं,
ये बातें दुनिया खाक जनता है?
© amitmsra
कहीं चुभ ना जाए उनके पैरों मैं।
वो कहते है, "पागल है क्या?
क्यूं जख्मी हाथों से धूल की खाक छानता है?"
हमें नासमझ जान दो बातें तो कर लेती हैं वो,
अब कौन बताए हमारी मोहब्बत के किस्से,
ये एहसास, ये लफ्ज़, ये जुनून सब हमारे हैं,
ये बातें दुनिया खाक जनता है?
© amitmsra
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