...

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जज़्बातों भरा दिल
चाहत नहीं है,यदि तुम्हें उनकी,
कह दो तुम सादगी से,
बात अपने मन की।
गर नहीं कर सकते इकरार,
तो स्पष्ट रूप से कर दो इंकार।
जज़्बातों से भरा,यह दिल है साहब,
कोई खिलौना नहीं,
मोहब्बत कर जब जी चाहा,खेला,
जब जी चाहा तोड़ दिया।
इंतहा हो गई तब,
कुछ देर खेलकर, जब मन ऊबा,
तो खिलौना समझ बदल लिया।
© mere ehsaas
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