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मेरे गाँव में
मेरे गाँव में
एक अलग ही रौनक है
शहरों के शोर से दूर, वहाँ अलग ही मौसम है।
प्रकृति की बड़ी अनुकम्पा है,
सौंदर्यता की अलग ही छटा बिखरी है वहाँ।
रक्तमयी लालिमा लिए सूरज की किरणें
एवं तारों की थाल सजाये चाँद की चाँदनी
एक अद्भुत संगम है वहाँ।
भौरों का गुनगुनाना भोर में,रात्रि में जगमगाते जुगनू
एहसास कराते हैं किसी अलग ही दुनिया का।
हरे रंगों में रंगी धरती माँ और ऊपर नीलगगन।
जलाशयों में क्रीड़ा करती मछलियां
खेतों में विचरते मवेशियों का झुण्ड,
बड़ा ही आनंददायी लगते हैं।
मीठे रसीले वाले आमों की गछिया
इंद्रधनुष के रंगों में रंगी फूलों की बगिया
बँसवारी से आती पत्तों की सरसराहट,
दूर नभ में उड़ती चिड़ियों की चहचहाट।
अहा! क्या विहंगम दृश्य रचते हैं।
ब्रम्हबेला में गूँजती ईश्वर की प्रार्थना,
मंदिरों की संध्या वन्दना है वहाँ
गृहीड़ियों का सजना सँवरना
नाज़ुक कलाइयों में चूड़ियों का खनकना।
घरों में जलती अंगीठियों से उठता,धुआँ
पनिहारिनों का जमघट वाला कुँआ,
स्वतः खिंच लाती है मुझे मेरे गाँव में।
एक अलग ही रौनक है
शहरों के शोर से दूर, वहाँ अलग ही मौसम है।
प्रकृति की बड़ी अनुकम्पा है,
सौंदर्यता की अलग ही छटा बिखरी है वहाँ।
रक्तमयी लालिमा लिए सूरज की किरणें
एवं तारों की थाल सजाये चाँद की चाँदनी
एक अद्भुत संगम है वहाँ।
भौरों का गुनगुनाना भोर में,रात्रि में जगमगाते जुगनू
एहसास कराते हैं किसी अलग ही दुनिया का।
हरे रंगों में रंगी धरती माँ और ऊपर नीलगगन।
जलाशयों में क्रीड़ा करती मछलियां
खेतों में विचरते मवेशियों का झुण्ड,
बड़ा ही आनंददायी लगते हैं।
मीठे रसीले वाले आमों की गछिया
इंद्रधनुष के रंगों में रंगी फूलों की बगिया
बँसवारी से आती पत्तों की सरसराहट,
दूर नभ में उड़ती चिड़ियों की चहचहाट।
अहा! क्या विहंगम दृश्य रचते हैं।
ब्रम्हबेला में गूँजती ईश्वर की प्रार्थना,
मंदिरों की संध्या वन्दना है वहाँ
गृहीड़ियों का सजना सँवरना
नाज़ुक कलाइयों में चूड़ियों का खनकना।
घरों में जलती अंगीठियों से उठता,धुआँ
पनिहारिनों का जमघट वाला कुँआ,
स्वतः खिंच लाती है मुझे मेरे गाँव में।
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