...

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तुम्हें लिखना इश्क हैं क्या
मुझे पता है तुम पढ़ते नहीं हो मुझे
किसी की यादों में जीना भी इश्क हैं क्या
किसी को खो कर भी उसी का होना इश्क हैं क्या
दूरियां बहुत हैं कदमों की उससे मेरी
दिल में उससे ज्यादा क़रीब कोई नहीं
तो ये दिलों में नजदीकियों का होना भी इश्क हैं क्या

इस इश्क में एक तरफ़ कुआं है
एक तरफ़ खाई है और चारों
तरफ़ मिलना बिछड़ना रुसवाई है
फिर हुआ है ये इश्क़ देखो चारों तरफ़
इसमें चोटे खाई है किसी ने ज़ख्म सहे
किसी ने जुदाई सही किसी का मिलन हुआ

और मैने किसी की यादों में कुछ लिख दिया
कभी गम कभी जुदाई इस इश्क की रुसवाई में
तुम्हें लिखा है देखो तुम्हारी ही याद में पता हैं तुम कभी मुझे पढ़ोगे नहीं फिर भी तुम्हें लिखना इश्क हैं क्या


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