धूप
काँच की खिड़की,
मौसम का इत्र छिड़की,
किंमती सामाँ ज्यों ज़रदा,
उसपे लगा जालीदार पर्दा,
और उससे छन के आती धूप,
उतना ही उजाला जितना ज़रूरी,
उतनी ही...
मौसम का इत्र छिड़की,
किंमती सामाँ ज्यों ज़रदा,
उसपे लगा जालीदार पर्दा,
और उससे छन के आती धूप,
उतना ही उजाला जितना ज़रूरी,
उतनी ही...