तुमने वादा किया था।
तुमने वादा किया था...
खद से निरंतर आगे बढ़ने का ध्येय पथ पर
फिर क्यों रुकने लगे तुम सिर्फ दो कदम चलकर।
क्या सोचा था तुमने ये पथ इतना आसान होगा
तुम सिर्फ सोचोगे और कदमों के नीचे आसमान होगा।
नहीं... इतना आसान नहीं बंधु मंज़िल को पाना
उदासी घेरेगी तुम्हें होगा...
खद से निरंतर आगे बढ़ने का ध्येय पथ पर
फिर क्यों रुकने लगे तुम सिर्फ दो कदम चलकर।
क्या सोचा था तुमने ये पथ इतना आसान होगा
तुम सिर्फ सोचोगे और कदमों के नीचे आसमान होगा।
नहीं... इतना आसान नहीं बंधु मंज़िल को पाना
उदासी घेरेगी तुम्हें होगा...