...

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रहने दिया
एक ख़याल को दिल में जवाँ रहने दिया,
मैंने कुछ लम्हों को ज़हन में रवाँ रहने दिया,
कुछ ऐसी बीती तनहाइयों में बाक़ी ज़िन्दगी,
के खुद को मैंने एक डूबता इंसाँ रहने दिया।

चाहतों को खुद से दूर रहने दिया,
आदतों से खुद को मजबूर रहने दिया,
गूँजती रही मेरे कानों में खामोशियाँ,
उन लम्हों को मगर दिल में बदस्तूर रहने दिया।

© Tanha Musafir