...

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मेरी हमजोली
सखी मेरी मेरी हमजोली,
यूँ ही करना हमसे हंसी ठिठोली।
अपनापन का उपहार देकर,
खाली न करना मेरी झोली ।।
आप समझदार मैं बड़ी भोली,
मित्रता हमारी एक अनोखी पहेली।।
सखी मेरी मेरी हमजोली....

राह हमारी सरल बनाकर,
दूर ना होना कभी हमें रुलाकर।
उम्र में बड़े दिल के कमज़ोर,
मित्र वियोग में हैं भाव-विभोर...
साथ हमारे है उनकी यादों की टोली
सखी मेरी मेरी हमजोली ....

नित मिलन की आस में,
तकते है हम राह
साथ हमारा छोड़के,
करना ना गुमराह
गुमनाम अंधियारों में भी,
याद रहेगी उनकी बोली
सखी मेरी मेरी हमजोली .....