...

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इश्क़ याँ दर्द
पता है दवा से, दर्द कम होता है
पर क्या सच में, इश्क़ इतना दर्द देता है
मैं जब भी ढुंढने निकलता हूँ, इश्क़ को,
वो हमेशा की तरह, तेरे खेमें में नज़र आता है।
चाहता तो बहुत हूँ, मैं इश्क़ करना पर,
कहीं बहक न जाऊं, डर लगता है
पता है छुवन से तुम्हारे, एहसास इश्क़ का होता है
पर क्या सच में, वो एहसास मुकम्मल रूह तक पहुंचता है।
_पहल