...

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बिरना सा लगता है ।
ये तुम हो जिसे मैं सिखा....
किसी को अपना कहते
कैसे है....
कहे को सच करते कैस है...

तूफा में भी ढूंढ लेना तेरा
मुझको
हर वक्त मुझको अपने होने
का एहसास देना

फिर क्यू अब बिरना सा लगता
है तेरे होने पे भी मुझको

माना वक्त एक जैसा नही होता
कभी कभी लगता वक्त तो ऐसा
होता ही है हम जैसे दीवानों का

फिर क्यू अब बिरना सा लगता है
हमने देखा है तेरा वक्त को मोड़
के मेरा होना

हद से गुजर जाना हम पे मर जाना
बिन बोले मेरा हाल जान जाते
फिर क्यू अब बिरना सा लगता है
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