...

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रात के आख़िरी किनारे पर....
रात के आख़िरी किनारे पर,
ख़्वाब कोई अटक कर रह गया,
संभाला तो बहुत जिंदगी ने,
मगर जीवन भटक कर रह गया।
इक़ आह लिए, क्या चाह लिए,
न जान सका, बस जान गई,
जाते हुए बेचारा,...