...

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अधर से अधर तक
दो बार टकराने पडेगे माथा
नहीं तो ठोकर मारते है कौवे

एक बार से कुछ नहीं होता
मुहब्बत दूसरी ही बार है होती

एक आँख को आँख न मानों
कब बंद हो जाए तुम क्या जानो

एक रोटी भी कभी न खाना
दूसरी माँग के भी खा जाना

हर चीज बनाई है दो दो रब ने
एक तुम और एक हम नें
© सौमित्र