...

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जरा सी बूंदे गिरी मेरे जिस्म पर तेरे प्यार की
जरा सी बूंदे गिरी मेरे जिस्म पर तेरे प्यार की
दिल की बगिया मैं तेरे आने से बहार आ गई
झूम उठा रूह का कतरा कतरा तेरी मस्ती से
सांसों की गलियों में तेरे आने से नसार आ गई

आंखो की तलाश तेरे दीदार से सबर हो गई
धड़कती धड़कन को तेरे आने की खबर हो गई
अपने तरसते होठों से पुकारा जब भी तेरा नाम
मिलन की राही अपनी तेरे आने से जबर हो गई

अपने दिल की गलियों से रूह की कलियों से
अपनी मोहोब्बत की धुन तेरी प्रीत के संग गाई है
बरसती होगी धरा पे मोहोब्बत मुझे मालुम नहीं
मनोज को सिर्फ पुष्प की मोहोब्बत रास आई है
© Manoj Vinod-SuthaR