...

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खुले जख्म
खुले खुले से है आज जज्बात
सिली सिली कुछ दिल की बात,
जल रहा हूं बहुत अपने अंदर
राख हो रही मेरी कायनात ।

क्यों सिले से ये लब है मेरे,
क्यों दिल की खुली सिलाई है ?
क्यों कर के ये वक्त है आया..,
क्या करी ऐसी मैने बुराई है ??
©®@Devideep3612
जल चुके है वो, शमशानों में खुले
दिल बना गया मेरा कब्रगाह है ।
आंखो से बह रही सपनों की नदी,
तूफान मचाएं इस दिल में आह है..!!

सुने सुने बने से इस जहान में...
दिल है, उजड़ी उदास बस्तियाँ,
किसकी नांव उस किनारे लगी है ??
उफान पर चलें जिसकी नदियाँ !!
©®@Devideep3612
ढंके थे जख्म, खुले है जज्बात से..
कितना ढंके, लगते है बदजात से !
भिनभिनाएं यादों की मक्खियां,
रुकती न है ये किसी बात से..!

यादों के है बुरे सिलसिले...
कोई रोकें, ना रोक पाएं है,
दिल में दबे ये शमशान से
बुरी यादों के कालें साएं है ।
©®@Devideep3612