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जान
लब पर जिसका नाम दिन रात हमारे रहता था।
हमें क्या मालूम था कि वो किसी ओर को चाहता था ।।
जब पता चली उसकी सच्चाई ,तब रोने लगे हम।
अपनी इस जान को खोने लगे हम
दिल कहे मर जा ,दिमाग़ कहे घर जा ,किसकी सुने हम ।
फिर सुनी हमनें दिमाग़ की ,लौट कर वापस घर आ गये हम ।।
© All Rights Reserved
हमें क्या मालूम था कि वो किसी ओर को चाहता था ।।
जब पता चली उसकी सच्चाई ,तब रोने लगे हम।
अपनी इस जान को खोने लगे हम
दिल कहे मर जा ,दिमाग़ कहे घर जा ,किसकी सुने हम ।
फिर सुनी हमनें दिमाग़ की ,लौट कर वापस घर आ गये हम ।।
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