Miss you माँ
याद आता है वों छोटे से कमरे का रौशनदान,
जहां से चाँद की रौशनी चल के आती थी,
माँ के आँचल मे छुप के सो जाता था,
माँ जब प्यार से लोरियाँ सुनती थी,
वों बचपन कहीं खो गया जवानी की सरहद पर,
आज गला फिर से खुश्क हो गया उन पलों को याद कर,
आँख भर आई ये सोच कर की,
माँ अब डांटती क्यों नही,
वक़्त पे खा लेना, जल्दी...
जहां से चाँद की रौशनी चल के आती थी,
माँ के आँचल मे छुप के सो जाता था,
माँ जब प्यार से लोरियाँ सुनती थी,
वों बचपन कहीं खो गया जवानी की सरहद पर,
आज गला फिर से खुश्क हो गया उन पलों को याद कर,
आँख भर आई ये सोच कर की,
माँ अब डांटती क्यों नही,
वक़्त पे खा लेना, जल्दी...