स्त्री
स्त्री को पढ़ना ...
किसी किताब के अध्याय की तरह,
उसके भीतर के
हरेक शब्द को बार- बार पढ़ना...
और एक दिन
उसके आख़िरी...
किसी किताब के अध्याय की तरह,
उसके भीतर के
हरेक शब्द को बार- बार पढ़ना...
और एक दिन
उसके आख़िरी...