...

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मुश्कान
कुछ ख़्वाब अधूरे से
कुछ बातें अनकहीं से,
यूँ तो बातें कई थी
जो तुझसे कहनी थी,
मील भी हम कुछ यूं थे
अंजान हम खुद से थे,
बातें वो सारी जो तुझसे कहनी थी
उनसे हम भी बेगाने थे.
मिल तू फ़ी कभी यूं ही
वक़्त अपना सारा तेरा कर देंगे,
तेरे नज़रों में मैं खो जाऊ
तू मेरे नज़रो को पढ़ लेना,
लबों पर सजी मेरी हंसी में
तू खुद को देख लेना,
एक मुश्कान देकर
तू भी मुझको अपना कह देना
© LivingSpirit