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अनुशासन बिन ज्ञान अधूरा
माना कि हो कोई विद्वान
हर विषयों का उसे हो ज्ञान।
यदि रखता हो आचरण बुरा, फिर तो
अनुशासन बिन ज्ञान अधूरा।
चाँद सितारों से भरा आसमान हो।
फिर भी न मिटा पाते वो अँधकार को
व्यर्थ कहूँ अन्य ग्रह नक्षत्रों को या कहूँ
बिन सूरज के आसमान अधूरा।
वैसे हीं अनुशासन बिन ज्ञान अधूरा।
सूंदर काया हो स्वर्ण रूप रंग ।
पर न हो नैतिकता न मर्यादित भाषा का ढंग।
लाख कमा लो धन दौलत पर
बिन व्यवहारिकता के सम्मान अधूरा।
वैसे हीं अनुशासन बिन ज्ञान अधूरा।
हो ऐशोआराम सुख समृद्धि ।
बिन परिश्रम हो अगर धन में वृद्धि।
फिर भी आँखों में नींद नहीं
बिन थकान भी आराम अधूरा।
वैसे हीं अनुशासन बिन ज्ञान अधूरा।
हो विचार विमर्श किसी बिंदु पर।
और तर्क वितर्क हर स्तर पर।
जाए व्यर्थ निष्कर्ष और चिंतन।
बिन पैमाने के अनुमान अधूरा।
वैसे हीं अनुशासन बिन ज्ञान अधूरा।
ईंट- ईंट जोड़कर बने चहारदीवारी
फिर भी कहते है लोग जीवन है खाली खाली।
जब अपने कोई संग हीं नहीं
तब बिन सदस्यों के मकान अधूरा।
वैसे हीं अनुशासन बिन ज्ञान अधूरा।

© shalini ✍️
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