...

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वक़्त
कहा वक़्त मे इतने आगे बड़ आए,
कहा उन शोर भरी गलियों को पीछे छोड़ आए।
न जाने कोनसे शहर चले आए,
न जाने कहा उन हस्ती हुई बस्ती को पीछे छोड़ आए।
जिन दोस्तो के बिना दिन शुरू नहीं होता था,
आज उनसे बात करने का वक्त नहीं मिलता।