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काश तू हकीकत में होती..... और जिंदगी मेरी गुलजार होती
काश तू हकीकत में होती
ख्वाबों में देखने की फिर
कोई जहोदत नहीं होती,
जब चाहे तब निहार लेता
जितना चाहे उतना प्यार कर लेता
बाहों में तुझको फिर समा लेता,
तू संग मेरे सुबह-शाम होती
तब मेरी सिर्फ अच्छी नहीं रात होती
ख्वाबों में देखने की फिर
कोई आस नहीं होती,
हम मिलते कहीं किसी मोड़ पर
इश्क़ मोहब्बत की बातें करते
संग जीने के वादे करते
दुनिया से अपने इश्क के खातिर
मिलकर साथ बगावत करते,
तब फिर क्या बात होती
ये ख्वाब नहीं हकीकत है
इस बात से मेरे होंठों पर मुस्कान होती
हर पल खुशियों की बहार होती
और जिंदगी मेरी गुलजार होती।।
© Sankranti chauhan
ख्वाबों में देखने की फिर
कोई जहोदत नहीं होती,
जब चाहे तब निहार लेता
जितना चाहे उतना प्यार कर लेता
बाहों में तुझको फिर समा लेता,
तू संग मेरे सुबह-शाम होती
तब मेरी सिर्फ अच्छी नहीं रात होती
ख्वाबों में देखने की फिर
कोई आस नहीं होती,
हम मिलते कहीं किसी मोड़ पर
इश्क़ मोहब्बत की बातें करते
संग जीने के वादे करते
दुनिया से अपने इश्क के खातिर
मिलकर साथ बगावत करते,
तब फिर क्या बात होती
ये ख्वाब नहीं हकीकत है
इस बात से मेरे होंठों पर मुस्कान होती
हर पल खुशियों की बहार होती
और जिंदगी मेरी गुलजार होती।।
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