...

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मेरी धरोहर..
हर औरत जानती है, उसकी धरोहर,
संवेदना में रची-बसी, प्रेम की उमर।
संघर्षों की गाथा, धैर्य की मिसाल,
वो खुद में समेटे, अनगिनत सवाल।हर औरत जानती है, उसका वजूद,
आँसुओं में छिपा, हंसी का सुरूर।
बचपन से बुनी, सपनों की चादर,
हाथों की लकीरों में, जिंदगी का अदर।हर औरत जानती है, उसकी पहचान,
खुद से लड़ते-लड़ते, बनती है महान।
कभी बेटी, कभी माँ, कभी सखा,
उसके हर रूप में, बसी है सच्ची कथा।हर औरत जानती है, उसका अधिकार,
पंखों को फैला, उड़ने का अधिकार।
नम आँखों में चमक, उम्मीदों का आसमान,
हर क़दम पर रचती, नये सपनों का दास्तान।हर औरत जानती है, उसकी धरोहर,
जो मिटा नहीं सकता, कोई भी बवंडर।
हिम्मत और हौंसले की अनमोल मूरत,
वो ही है सृष्टि की, सबसे सुंदर सूरत।...!!!
© dil ki kalam se.. "paalu"