मत रोओ मेरी जान मैं मजबूर था
मत रोओ मेरी जान
मैं मजबूर था
तुम अपनी आंखों से देखी
मैं कितना दूर था
मत रोओ मेरी,,,,,,,
चाहता था तुम्हें विदाई दूं
लेकिन बंधन में तेरा यह कोहिनूर था
संडे मंडे सब क्या तेल लेने
छुट्टी तो बस नाम का मशहूर था
मत रोओ मेरी,,,,,,,
हर दिन काम, काम, काम
लगता मैं मजदूर था
सरकार का नौकर
नौकरी के नाम पर अंदर से चकनाचूर था
मत रोओ मेरी,,,,,,,
चाहता था मैं दे दूं त्यागपत्र
लेकिन भूखा पेट का यह दस्तूर था
हां तेरे पास होकर भी मैं
मैडम बहुत दूर था
मत रोओ मेरी,,,,,,,
आंखों देखा हाल पवन जी का
संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar
मैं मजबूर था
तुम अपनी आंखों से देखी
मैं कितना दूर था
मत रोओ मेरी,,,,,,,
चाहता था तुम्हें विदाई दूं
लेकिन बंधन में तेरा यह कोहिनूर था
संडे मंडे सब क्या तेल लेने
छुट्टी तो बस नाम का मशहूर था
मत रोओ मेरी,,,,,,,
हर दिन काम, काम, काम
लगता मैं मजदूर था
सरकार का नौकर
नौकरी के नाम पर अंदर से चकनाचूर था
मत रोओ मेरी,,,,,,,
चाहता था मैं दे दूं त्यागपत्र
लेकिन भूखा पेट का यह दस्तूर था
हां तेरे पास होकर भी मैं
मैडम बहुत दूर था
मत रोओ मेरी,,,,,,,
आंखों देखा हाल पवन जी का
संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar