...

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अंजुरी भर प्रेम
अंजुरी भर पंचामृत तेरा प्रेम मिला था
अब जीवन में बचा है बाकी जल खारा

सप्त सुर सुरीले तेरा प्रेम संगीत मिला था
अब कर्कश स्वर गाये जीवन का इकतारा

उत्सव के मंडप में था जगमग उजियारा
अब मन में छाया है पूरा तमस अंधियारा

अब भी
आशा दीप जला रखा है मन मंदिर चौबारे में
धुँधलके से ढूँढ़ता सवेरा पहुंचेगा मेरे द्वारे पे
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© ऋत्विशा