है कुछ दरमियान तेरे मेरे
इतना सा कर्ज तू रहने दे,
मुझे दर्द इश्क़ का सहने दे...!
मालूम रहे मुझको, मैं हूं,
मुझको, बस तुझमें पलने...
मुझे दर्द इश्क़ का सहने दे...!
मालूम रहे मुझको, मैं हूं,
मुझको, बस तुझमें पलने...