क्या ढूंढोगे तुम मुझे??
क्या ढूंढोगे तुम मुझे..??
उतर रहा है सूरज फ़िर बालकनी के साथ
जो ऐसे लग रहा है जैसे पहले प्रेम में पड़ा कोई प्रेमी आतुर हो प्रेमिका से मिलने को
इसे देखकर ख़्याल इक आया..और ख़्याल ही क्या..सच में तो एक सवाल था..
इस सवाल के जवाब के लिए तुमसे इजाजत नहीं माँगूंगी!क्योंकि मैं तुम्हारी इजाज़त के बग़ैर आदतन सवाल पूछ ही लिया करती हूं,
और सवाल ये कि
क्या कभी तुम्हारे ज़ेहन में कभी यूँ आया-जब मैं तुम्हारे पास न रहूँगी, तो क्या कभी ढूंढोगे तुम मुझे??
अलसाई शाम में...या तरोताज़ा सुबह...
उतर रहा है सूरज फ़िर बालकनी के साथ
जो ऐसे लग रहा है जैसे पहले प्रेम में पड़ा कोई प्रेमी आतुर हो प्रेमिका से मिलने को
इसे देखकर ख़्याल इक आया..और ख़्याल ही क्या..सच में तो एक सवाल था..
इस सवाल के जवाब के लिए तुमसे इजाजत नहीं माँगूंगी!क्योंकि मैं तुम्हारी इजाज़त के बग़ैर आदतन सवाल पूछ ही लिया करती हूं,
और सवाल ये कि
क्या कभी तुम्हारे ज़ेहन में कभी यूँ आया-जब मैं तुम्हारे पास न रहूँगी, तो क्या कभी ढूंढोगे तुम मुझे??
अलसाई शाम में...या तरोताज़ा सुबह...