चातक जैसी प्रीत
चातक सम प्रेमी नही
चाह ना उसकी खास
पिहू पिहू की रट लगा,
देख रहा आकाश।
और नही कुछ लालसा
रखता हिय के पास।
है स्वाती नक्षत्र की
एक बूँद बस...
चाह ना उसकी खास
पिहू पिहू की रट लगा,
देख रहा आकाश।
और नही कुछ लालसा
रखता हिय के पास।
है स्वाती नक्षत्र की
एक बूँद बस...