भारी भीड़ आबादी
भारी भीड़ आबादी जहाँ अपनी ही चेष्टा में।
निहित करें गौरव वहाँ कोलाहल आवेश में।
चहुँ और वातावरण जहाँ अपना गणवेश में।
पर्याप्त निः संकोच कैसे हो निरन्तर परवेश में।
भटक रही नारी चारों ओर जहाँ कलयुग में।
कैसे सुधरेगा फिर देश हमारा इस ब्रह्मांड में।
वाद...
निहित करें गौरव वहाँ कोलाहल आवेश में।
चहुँ और वातावरण जहाँ अपना गणवेश में।
पर्याप्त निः संकोच कैसे हो निरन्तर परवेश में।
भटक रही नारी चारों ओर जहाँ कलयुग में।
कैसे सुधरेगा फिर देश हमारा इस ब्रह्मांड में।
वाद...