गए हैं
लम्हात आजकल के कुछ फ़ज़ूल से गए हैं,
आजकल हम अपनी क़ुदरत भूल से गए हैं.
ज़िन्दगी बेहतर बनाने की चाहत में अपनी,
इस ज़िन्दगी को जीना हम कुछ भूल से गए हैं.
दुनिया भर की ख़बरों से ये दिल उचटता है,
लगता है जैसे इंसान अपने उसूल से गए हैं.
अपने हक़ की...
आजकल हम अपनी क़ुदरत भूल से गए हैं.
ज़िन्दगी बेहतर बनाने की चाहत में अपनी,
इस ज़िन्दगी को जीना हम कुछ भूल से गए हैं.
दुनिया भर की ख़बरों से ये दिल उचटता है,
लगता है जैसे इंसान अपने उसूल से गए हैं.
अपने हक़ की...