...

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अनगिणत ख्वाहिशे
अनगिनत ख्वाहिशों की किश्ती पर,,,,
दिन रात संवार रहते हों ।
इस लिए तो हर पल,,,
इतना परेशान रहते हों।
सब्र को त्यागकर,,
बस लालच का चोला पहना लिया।
तेरे इस बढ़ते हुए लालच ने,,
सुकून तेरा है छीन लिया।
गाड़ी, बंगला,धन और दौलत,,
चलो मना तुमने बहुत कमाई है।
पर इन बेजान सी चीजों खातिर,,
अपनी रातों की नींद गंवाई है।
भर रहे हों तंजौरी कागज के नोटों से,,
तुम्हें लगता हैं बहुत अमीर हो रहे हों।
ज़रा पीछे मुड़कर देखो यारों,,
रिश्तों के मामले में तो गरीब हो रहें हों।
यह कैसा लालच हैं आगे बढ़ने का,,
जिसने रिश्तों में मतलब का बीज बो दिया।
सफलता को पाते पाते,,
तुमने खुद को खो दिया।
जो किस्मत में लिखा है मिल ही जायेगा,,,
फिर भी किस्मत से ज्यादा चाहते हों।
जानते हो कि सहज पाये सो मीठा होए,,
फिर भी शोर्ट कट अपनाते हो।
होड़ लगी है एक दूसरे से उपर जाने की,,
फिर अफ़सोस क्यों,,,
कि घर परिवार से दूर हैं।
पर इस में तेरी भी तो कोई ग़लत नहीं,,,
सब दिखावे का कसूर है।
आने वाले कल की खातिर ,,
जानते हैं दिन रात तू कमायेगा।
क्यों इस बात से अनजान हो,,
आने वाला कल भी,,
आने वाले कल की फ़िक्र में बीत जायेगा।
कितनी घड़ीया काटी सुकून से,,
चलो इस बात पर भी गौर फ़रमायो।
कितने कू ख़ुश हो अपनी जिंदगी से,,
चलो दोस्त आज सच सच बताओ।
जानती हूं कोई जवाब नहीं है पास किसी के,,
पढ़कर सबके मुंह पर चुप्पी छाई है।
चलो ना थोड़ा सा जी लेते हैं जिंदगी,,
क्योंकि खुदा ने यह खुबसूरत सी जिंदगी,,
जीने के लिए बनाई है।

✍️✍️✍️ परमजीत 💚💚
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