1 views
द्रुत विलम्बित छंद (प्रकृति)
गगन सूरज चांद सभी धरा।
जलज जीवन से सब जो बना।
शलभ कीट-मकोड़ प्रजातियां ।
प्रकृति रूप सजी मिल घाटियां ।१।
अचल से छँट सूरज रौशनी ।
बिटप पार करें परछाइयां ।
अरुण रंग भरता जग गेरुआ ।
बिहग गीत भरे सहनाइयां।२।
सुबह सुन्दर रूप प्रभात का,
रचित सा स्वर छंद बना रहा।
पवन वेग सुगंध बटोर के,।
सुखद गंध बसंत बना रहा।। ३।
प्रकृति ये सब है सबके लिए,।
सकल ही रख लें गर ध्यान में ।
सरग को धरती पर ला सकें ।
जतन ये कर लें मिल बूझ के।४।
नयन खोल न नष्ट करो इसे ।
कह रही तुमसे धरती सखे।
मनुज हो अब तो समझो इसे।
इक यही सब जीवन दे तुझे।५।
-'प्यासा'
© All Rights Reserved
जलज जीवन से सब जो बना।
शलभ कीट-मकोड़ प्रजातियां ।
प्रकृति रूप सजी मिल घाटियां ।१।
अचल से छँट सूरज रौशनी ।
बिटप पार करें परछाइयां ।
अरुण रंग भरता जग गेरुआ ।
बिहग गीत भरे सहनाइयां।२।
सुबह सुन्दर रूप प्रभात का,
रचित सा स्वर छंद बना रहा।
पवन वेग सुगंध बटोर के,।
सुखद गंध बसंत बना रहा।। ३।
प्रकृति ये सब है सबके लिए,।
सकल ही रख लें गर ध्यान में ।
सरग को धरती पर ला सकें ।
जतन ये कर लें मिल बूझ के।४।
नयन खोल न नष्ट करो इसे ।
कह रही तुमसे धरती सखे।
मनुज हो अब तो समझो इसे।
इक यही सब जीवन दे तुझे।५।
-'प्यासा'
© All Rights Reserved
Related Stories
0 Likes
0
Comments
0 Likes
0
Comments