...

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माँ
नहीं देता इजाज़त भी ख़ुदा की उफ़ करो इनसे,
जो डाँटे भी अगर तो तू दुआ भी इनकी पाता है।

उठाकर हाँथ जब मैंने दुआ को इस तरह माना,
दिया जब वास्ता माँ का ख़ुदा भी मान जाता है।

ये तूफ़ां जो मिटाना चाहता है मेरी हस्ती को ,
मेरी माँ की दुआओं से ये थक कर हार जाता है ।
© ishqallahabadi🖋