...

8 views

◆ दिशाहीन अंत ◆
इस सर्द में न जाने कितने
" स्वर "
हैं और न जाने कितने
" सुर " हैं , ,
जो पीछा करते हैं
सुमसान से बन्द कमरे तक , और
जो ,
ले जाते हैं ,, " अज्ञात "
से कहीं अधिक दूर ,,
वर्षों पीछे भविष्य की
" ग्रसित चिंताओं "
से दूर कहीं ,,,
वाकई जब ये सर्द स्वर
" उच्चारित " होते हैं तो ,,
मानो जैसे कहीं खोये हुए हम
" हमे " मिल गए ,
जीवन में जीवन भरने वाले अपने
" छुअन "
के ये स्वर ,,
शायद !
कुछ चरित्र कल भी
" अनसुलझे " ही रहेंगे ,,
जैसे कि मेरा अंत
" पश्चिम " में
न हो
" उत्तर "
में लिख दिया गया हो !!


© निग्रह अहम् (मुक्तक )
【 GHOST WITH A PEN 】