मंज़िल की सीढ़ियाँ
सीढ़ियाँ मंजिल की मेरी तुम से हैं।
मेरे हर रास्तों की रौशनी तुम से हैं।
बिन तेरे मंजिल को न मैं पाऊंगा।
मैं रास्तों से अपने भटक जाऊंगा।
थाम लो तुम...
मेरे हर रास्तों की रौशनी तुम से हैं।
बिन तेरे मंजिल को न मैं पाऊंगा।
मैं रास्तों से अपने भटक जाऊंगा।
थाम लो तुम...