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मै और तुम !
अगर मै किसी कली की महक,
तो फूलों की बहार हो तुम
मै पानी की बूंद सी हु,
तो बारिश की फुहार हो तुम।
अगर मै गालो की लाली जैसी,
सुंदरता का निखार हो तुम
किसी दुल्हन की अगर मै शर्म सी हु,
उस दुल्हन का श्रृंगार हो तुम।
तारीफ़ नहीं ये इबादत है मेरी
तुमसे इकरार करना आदत है मेरी ।
तो फूलों की बहार हो तुम
मै पानी की बूंद सी हु,
तो बारिश की फुहार हो तुम।
अगर मै गालो की लाली जैसी,
सुंदरता का निखार हो तुम
किसी दुल्हन की अगर मै शर्म सी हु,
उस दुल्हन का श्रृंगार हो तुम।
तारीफ़ नहीं ये इबादत है मेरी
तुमसे इकरार करना आदत है मेरी ।
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