...

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हां सच है प्यार नहीं करता
जब नहीं मिलेंगे दिल टूटेगा,
खान पान सब कुछ छूटेगा।
फिर मानव है घुट घुट मरता ,
हां सच है प्यार नहीं करता।।

दिल में डूबो जीना भूलो,
हर रोज स्वप्न झूले झूलों।
जो सच है उससे रोज मुकर,
मैं कोई कार्य नहीं करता ।।....

निज अंतर्मन को समझाकर,
झूठे वादों से फुसलाकर।
जो नहीं प्राप्त होना उसपे,
हां मैं एतबार नहीं करता।।...

न प्रेम बना मेरे खातिर,
मैं हूं अभिशापित मन भी है।
जीवन में केवल दुख वर्षा,
दुख सहने को ये तन भी है।
मैं मिला अभी तक जिनसे भी,
मन आलिंगन से हूं डरता।
हां सच है प्यार नहीं करता।।.....

लेखक---- अरुण कुमार शुक्ल