...

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तेरी यादों को गले लगाकर
तेरी यादों को गले लगाकर
जी रहें हैं हम ,
न पूछ दर्द भरे अश्क़ों कैसे
पी रहें हैं हम ,
जानती हूँ तेरा लौटना अब
मुमकिन नहीं ,
फिर भी वस्ल की आस लिए..
उम्मीद के धागे पिरो रहें हैं हम । S.S.
Sarita Saini
स्वरचित
© Lafz_e_sarita
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