मेरा सच
मेरा सच रोज़ मिलता है मुझसे
कभी वो शर्माता है मुझसे
तो कभी मैं नज़रे चुराता हूं उससे
मेरा सच रोज़ मिलता है मुझसे
कभी मेरे पुराने वादों के साथ
तो कभी मेरे पैरों तलों रौंदे जाते हुए
मेरी ही बेलाग बातों को
मेरे सामने...
कभी वो शर्माता है मुझसे
तो कभी मैं नज़रे चुराता हूं उससे
मेरा सच रोज़ मिलता है मुझसे
कभी मेरे पुराने वादों के साथ
तो कभी मेरे पैरों तलों रौंदे जाते हुए
मेरी ही बेलाग बातों को
मेरे सामने...