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शिरडी नगरी
#विश्व_कविता_दिवस
कदम रखा जब शिरडी पर
पूरी रम गई मै तो भक्ति में
साईं नाथ का आशीष पाकर
मै पूरी हो गई धन्य रे
साईं की कृपा ऐसी होती
जहाँ अन्न धन की कभी कमी न होती
सारे संकट पल में मिट जाते
जब हम साईं नगरी पहुंचते
श्रद्धा सबूरि बाबा हमारे
सब भक्तों की पुकार सुनते
अमीर गरीब ऊंच नीच सब उनके लिए समान होते
साईं की कृपा शिरडी नगरी पर
बखूबी बरसती
वहाँ घरों में न ताले लगते
कोई बुरा काम वहाँ हो नहीं सकता
क्योंकि वहाँ सबके दिलों में साईं हैं बसते।
© hemasinha
कदम रखा जब शिरडी पर
पूरी रम गई मै तो भक्ति में
साईं नाथ का आशीष पाकर
मै पूरी हो गई धन्य रे
साईं की कृपा ऐसी होती
जहाँ अन्न धन की कभी कमी न होती
सारे संकट पल में मिट जाते
जब हम साईं नगरी पहुंचते
श्रद्धा सबूरि बाबा हमारे
सब भक्तों की पुकार सुनते
अमीर गरीब ऊंच नीच सब उनके लिए समान होते
साईं की कृपा शिरडी नगरी पर
बखूबी बरसती
वहाँ घरों में न ताले लगते
कोई बुरा काम वहाँ हो नहीं सकता
क्योंकि वहाँ सबके दिलों में साईं हैं बसते।
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