...

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मेरे ख़्वाबों की कहानी
मेरे ख़्वाबों की कहानी ख़्वाबों में ही रह गई, गुजरती गई जिंदगी मैं अधूरी ही रह गई I
वादों में बसे रिश्तों की नींव कुछ ऐसे खो गई ,कि सिमट गई मैं खुद में ना जाने कहाँ खो गई I
ख्वाब हक़ीक़त होने की कोशिश में रहे, मैं मुसलसल इम्तिहानो में व्यस्त हो गई I
परवाह की उम्मीद करता रहा ज़माना, मेरी अपनी ख़ुशी कहीं दब के गुम हो गई I
ख़्वाबों के बिना वीरान लगती है जिंदगी, यही ज़िन्दगी जैसे अब मेरी किस्मत बन गई I