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इल्जाम जो तूने हम पे लगाया था ।।
इल्जाम जो तूने हम पे लगाया गया
चल वो सारे हम काबुल करते हैं।।
तुझे रोजाना याद कर हम भी
वक्त फिजूल करते हैं।।
जा अब हम भी तुझे कहते है की प्यार नही
तू यार तो है मेरा पर तुझसे अब ऐतवार नही ।।
चल अब हम भी तुझे एक सबक देते हैं,
हुई जो देर तुझे आने में खुद को खुद में मसल देते हैं।।
कल तक कहता रहा तू इश्क है मेरा ,
क्या तुझपे भी कभी कोई हक है मेरा ।।
तेरे दीदार को तरसते रहे थे जब हम
तू भी तो आयेगा ना कफन में लिपटे रहेंगे जब हम ।।
© Namrata Mahato
चल वो सारे हम काबुल करते हैं।।
तुझे रोजाना याद कर हम भी
वक्त फिजूल करते हैं।।
जा अब हम भी तुझे कहते है की प्यार नही
तू यार तो है मेरा पर तुझसे अब ऐतवार नही ।।
चल अब हम भी तुझे एक सबक देते हैं,
हुई जो देर तुझे आने में खुद को खुद में मसल देते हैं।।
कल तक कहता रहा तू इश्क है मेरा ,
क्या तुझपे भी कभी कोई हक है मेरा ।।
तेरे दीदार को तरसते रहे थे जब हम
तू भी तो आयेगा ना कफन में लिपटे रहेंगे जब हम ।।
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