...

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मेहनत
जरूरी नहीं की वक्त हमेशा किस्मत का साथ छोड़ दे,
क्या पता आज की यह मेहनत
कल वक्त का पहिया मोड़ दे।

तू बस अड़ा रहे,मेहनत बस तू करता रहे,
मंजिल की आश लेकर मंजिल तक तू टीका रहे।
क्या पता ये चार दीवारों में की हुई मेहनत
कल खुशियों का महल दिला दे।

देख!तू सोच ले मखमल की गद्दी में सो कर
काटों का चद्दर बिछाना हैं,
या गम की दो बूंद आंसू पी कर
खुशियों की बरसात लाना है,
क्या पता तेरे इस मेहनत का फल
खुद तुझे खुदा बक्स दे।
© Chayanika Dani