...

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"मोबाइल की दुनिया"
मोबाइल की दुनिया मे जो कहीं कैद हो जाते है,
साथ बैठे संगी को भूल जाते हैं,
आभासी दुनिया मे,रिश्ते नए बनाते है,
दुःख अपने भूल कर,आभासी ही मुस्कुराते हैं,
मोबाइल की दुनिया मे ...
होली, दिवाली दिखा दिखा मानते हैं,
पर्यावरण दिवस पर आभासी ही पेड़ लगाते हैं,
आभासी ही तुलसी पर जल चढ़ाते हैं,
मोबाइल की दुनिया मे...
बड़ी बड़ी बातें करते नही थकाते हैं,
उड़ते आभासी जगत मे पैर धरा पर नही टिकाते हैं,
सुख चैन और नींद अपनी गंवाते है,
मोबाइल की दुनिया मे...
खींच खींच तस्वीरें जाने किसे ललचाते हैं,
कोई सट्टा तो कोई शेयर पर दांव लगाते हैं,
कोई पसंद नापसंद के फेर मे दिन गंवाते हैं,
मोबाइल की दुनिया मे...
कोई सुन संगीत मन बहलाते हैं,
कोई वेबेरीज पर वारे जाते हैं,
कोई व्यापार अपना आगे बढ़ाते हैं
मोबाइल की दुनिया मे...
कक्षा चला रोजगार पाते हैं,
नृत्य कला भी सिखलाते हैं,
बच्चों के दिल भी बहलाते हैं
मोबाइल की दुनिया मे....
गुण इतने कहां से लाते है,
यहीं पर ईश्वर भी पूजे जाते हैं,
ऑनलाइन ब्याह रचाते हैं,
मोबाइल की दुनिया मे...
कुछ भविष्य बताते हैं,
कुछ दुकान लगाते हैं,
कुछ सुर तान सिखाते हैं,
मोबाइल की दुनिया मे.....
अनंत से भी इसे परे बताते हैं,
योग और ध्यान लगाते हैं,
गुण अवगुण अब हम से कहे नही जाते हैं,
मोबाइल की दुनिया मे....🙏






© अल्फाज